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कूलर में कौन सी घास प्रयोग होती है? By वनिता कासनियां पंजाब भारत मेँ कूलर के लिए फ़िलहाल तीन प्रकार के कूलिंग पेड (जालियां) इस्तेमाल हो रहीं हैं |सबसे पुरानी है - "खस" नामक घांस कि जड़ों से बनी जाली, जो कम उपलब्धता के कारण सबसे महंगी है | प्रसिद्ध "खस" का इत्र (ओरिजनल) भी इन्ही जड़ों से बनाया जाता है | कूलर में इनका उपयोग आजकल लगभग बंद हो गया है |दूसरी है - "वुड वूल" अर्थात चीड़ की वेस्टेज लकड़ी की मशीन से बनाई गई लम्बे रेशे वाली छीलन से बनी जालियां | ये काफी सस्ती होती हैं, व लगभग 70 % सस्ते व मीडियम मूल्य के कूलर्स मेँ इन्ही का उपयोग होता है |तीसरी - सबसे महंगी कागज़ की लुगदी से बनी "हनी कॉम्ब" जालियां | ये कागज़ की लुगदी में कोई सिंथेटिक पदार्थ मिला कर, फैक्ट्री में बनाई जाती हैं, ये काफी महंगी होती हैं, इसी लिए महंगे ब्रांडेड कूलर्स में ही दिखाई देते हैं |सभी चित्र गूगल से साभार

कूलर में कौन सी घास प्रयोग होती है? By वनिता कासनियां पंजाब भारत मेँ कूलर के लिए फ़िलहाल तीन प्रकार के कूलिंग पेड (जालियां) इस्तेमाल हो रहीं हैं | सबसे पुरानी है - "खस" नामक घांस कि जड़ों से बनी जाली, जो कम उपलब्धता के कारण सबसे महंगी है | प्रसिद्ध "खस" का इत्र (ओरिजनल) भी इन्ही जड़ों से बनाया जाता है | कूलर में इनका उपयोग आजकल लगभग बंद हो गया है | दूसरी है - "वुड वूल" अर्थात चीड़ की वेस्टेज लकड़ी की मशीन से बनाई गई लम्बे रेशे वाली छीलन से बनी जालियां | ये काफी सस्ती होती हैं, व लगभग 70 % सस्ते व मीडियम मूल्य के कूलर्स मेँ इन्ही का उपयोग होता है | तीसरी - सबसे महंगी कागज़ की लुगदी से बनी "हनी कॉम्ब" जालियां | ये कागज़ की लुगदी में कोई सिंथेटिक पदार्थ मिला कर, फैक्ट्री में बनाई जाती हैं, ये काफी महंगी होती हैं, इसी लिए महंगे ब्रांडेड कूलर्स में ही दिखाई देते हैं | सभी चित्र गूगल से साभार